यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 11-12-2025
कांग्रेस सरकार के तीन साल पूरे होने पर मंडी में आयोजित रैली पर भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं वरिष्ठ विधायक रणधीर शर्मा ने तीखी और विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम जश्न नहीं बल्कि तीन साल की पूरी तरह असफल शासन व्यवस्था और जनता को दिए धोखे का खुला महोत्सव था। उन्होंने कहा कि जिस तरह के बयान मंच से कांग्रेस नेताओं ने दिए, उसने यह सिद्ध कर दिया कि सरकार अंदर से टूट चुकी है और आपसी राजनीति में उलझी हुई है, जबकि जनता भीषण समस्याओं से जूझ रही है। रणधीर शर्मा ने कहा कि मंच पर सबसे शर्मनाक और अभूतपूर्व दृश्य वह था जब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्वयं अपने मुख्यमंत्री को ‘निकम्मा’, असक्षम और निर्णयहीन बताते हुए खुले में सरकार की पोल खोल दी।
उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि किसी सरकार का दूसरा सर्वोच्च पदाधिकारी मुख्यमंत्री की छवि को मंच से ही इस तरह ध्वस्त करता दिखाई दिया। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार की नाव भीतर ही भीतर हिचकोले खा रही है और नेतृत्व पूरी तरह विभाजित है। इसी के साथ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल ने मुकेश अग्निहोत्री को मैन ऑफ द मैच बताकर इस अराजकता बयानबाज़ी को मानो प्राथमिकता दे दी। भाजपा नेता ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को अपमानित करना मैन ऑफ द मैच’ है , तो फिर कांग्रेस सरकार के तीन साल की दिशा का अंदाज़ा स्वयं जनता लगा सकती है। रणधीर शर्मा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का वह बयान कि “अफसरों से रात के अंधेरे में निपट लेंगे, रगड़कर रख देंगे, नेस्तनाबूद कर देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी भाषा न केवल राजनीतिक मर्यादाओं को तोड़ती है , बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को डराने और दबाव में लाने का प्रयास भी है। उनके अनुसार कांग्रेस सरकार तीन साल बाद विकास का कोई आंकड़ा नहीं दिखा पाई , इसलिए अब सत्ता का दुरुपयोग कर अफसरों , कर्मचारियों और जनता को डराने-धमकाने का रास्ता अपना रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रकार की राजनीति प्रदेश के शांतिपूर्ण वातावरण को खतरे में डाल सकती है। रणधीर शर्मा ने कहा कि जश्न मनाने के लिए उपलब्धि चाहिए और कांग्रेस सरकार के पास उपलब्धियों की जगह विफलताओं का पहाड़ है। उन्होंने कांग्रेस सरकार के सामने एक-एक कर सवाल रखे , क्या जश्न इस बात का है कि दो बार झूठी गारंटियाँ देकर वोट लिए और एक भी पूरी नहीं की? क्या जश्न इस बात का है कि हिमकेयर बंद कर हजारों मरीजों को इलाज से वंचित कर दिया? क्या जश्न इस बात का है कि सहारा, शगुन और गणी सुविधा योजनाएं समाप्त कर कमजोर वर्गों को राहत से काट दिया? क्या जश्न इस बात का है कि विधायक निधि बंद कर विकास कार्य पूरी तरह ठप कर दिए? क्या जश्न इस बात का है कि सड़कों, अस्पतालों और स्कूलों तक में नए कार्य रुक गए? क्या जश्न इस बात का है कि बिजली–पानी के बिल कई गुना बढ़ाकर जनता की जेब खाली कर दी?