कैसे करें तिलहन और दलहन की उन्नत खेती, कृषि वैज्ञानिकों ने दी जानकारी....
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के करनाल स्तिथ भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसन्धान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. सत्यवीर सिंह बाजवा, डॉ. अनिल खिप्पल, डॉ जयंत और डॉ. चारुलता ने जिला सिरमौर के विभिन्न गांवों का दौरा किया
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यंगवार्ता न्यूज़ - सिरमौर 28-06-2024
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के करनाल स्तिथ भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसन्धान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. सत्यवीर सिंह बाजवा, डॉ. अनिल खिप्पल, डॉ जयंत और डॉ. चारुलता ने जिला सिरमौर के विभिन्न गांवों का दौरा किया और तीन गांवों उत्तमवाला, बोहलियों एवं पातलियों के अनूसूचित जाति के किसानो को कृषि क्षेत्र में हो रहे नवोन्मेषी तकनीकों और प्रगति के विषय में जानकारी दी।
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसन्धान केंद्र, करनाल ने कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर के सहयोग से इन तीन गावों में 25, 26 और 27, जून को इन जागरूकता शिविरों का आयोजन किया।
वैज्ञानिकों ने किसानो से दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही कहा कि हमारे किसानों की आय बढ़ाने और बदलते परिदृश्य के लिए तकनीकी उन्नति को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी कृषि नीति और शोध छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं। किसानों को हमें विज्ञान से जोड़ना है और इसके लिए विजन तथा मिशन के साथ कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाना और किसान का कल्याण करना ही हमारी प्राथमिकता है।
इन महत्वपूर्ण शिविरों में कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल, जिला सिरमौर के परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. साहब सिंह, कृषि विज्ञानं केंद्र के वैज्ञानिक संगीता अत्री, डॉ. हर्षिता सूद और डॉ. शिवाली धीमान ने भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इन विशेषज्ञों ने किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा के दौरान भारतीय कृषि की चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर गहन चर्चा की और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के साथ ही नई तकनीकों का परीक्षण और क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से करने की बात की, जिससे किसानों की फसलों की उपज और आय में वृद्धि हो।
डॉ. पंकज मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना अनिवार्य है और यह केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और किसानों के बीच सहयोग से ही हम भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।
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