शोभा यात्रा के साथ  देवी साहिबा धरेच का आठ दिवसीय मेला आरंभ 

कसुपंटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत धरेच के केलिया घाट में जैईश्वरी माता के आठ दिवसीय दशहरा मेले वीरवार को आरंभ हुए। आठयो अथवा दुर्गाष्टमी के अवसर पर वीरवार को  जैईश्वरी माता के प्राचीन मंदिर धरेच से माता की शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल नगाड़ों व शहनाई के साथ  निकाली

Oct 10, 2024 - 19:24
 0  14
शोभा यात्रा के साथ  देवी साहिबा धरेच का आठ दिवसीय मेला आरंभ 

निःसंतान दंपतियों की सूनी गोद भरती है माता जैईश्वरी

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    10-10-2024

कसुपंटी निर्वाचन क्षेत्र की ग्राम पंचायत धरेच के केलिया घाट में जैईश्वरी माता के आठ दिवसीय दशहरा मेले वीरवार को आरंभ हुए। आठयो अथवा दुर्गाष्टमी के अवसर पर वीरवार को  जैईश्वरी माता के प्राचीन मंदिर धरेच से माता की शोभा यात्रा पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल नगाड़ों व शहनाई के साथ   निकाली गई जोकि माता के केलिया घाट स्थित मंदिर में संपन हुई। जिसमें क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। 

मंदिर समिति एवं देवी के बजीर शिवराम शर्मा बताया कि धरेच में  माता नगरकोटी का प्राचीन मंदिर है जोकि जैईश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है । परंपरा के अनुसार हर वर्ष शरद नवरात्रे की दुर्गा अष्टमी पर जैईश्वरी माता धरेच को घाट स्थित में प्राचीन मंदिर मौड़ में आगमन होता है जहां पर माता चौदश तिथि तक भक्तों को दर्शन देने के लिए विराजमान रहती है और शरद पूर्णिमा को वापिस अपने मंदिर धरेच में प्रवेश करती है। 

इस वर्ष सबसे बड़ा दशहरा मेला 13 अक्तूबर को मनाया जा रहा है जिसमें दूर दराज से असंख्य श्रद्धालु माता के दर्शन करके पुण्य कमाते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इस मेले में देवी दर्शन ही आकषर्ण का केंद्र होते हैं इसके अलावा मेले में कोई अन्य गतिविधियां नहीं होती । इस मेले में    विशेषकर लोग अपने छोटे बच्चों के मुंडन करवाने आते हैं। 

शिवराम शर्मा के अनुसार जैईश्वरी नगरकोटी माता बहुत प्रत्यक्ष देवी है और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। विशेषकर  निःसंतान दंपतियों की सूनी गोद देवी निश्चित रूप से भर देती है। उन्होने बताया कि अतीत में इस मंदिर में बलि प्रथा हुआ करती थी  जिसे काफी वर्षों पहले मंदिर कमेटी द्वारा बंद कर दिया गया है। 

इस दौरान  सबसे बड़ा मेला दशहरा के दूसरे दिन एकादशी को लगता है। जिसमें माता के दर्शनों के लिए जन सैलाब उमड़ता है। इस मंदिर में चावल के दाने प्रसाद रूप में दिए जाते है। जिसे लोग अपने घरों में सहेज कर रखते हैं ताकि किसी नाकारात्मक शक्ति का घर में प्रवेश न हो। वजीर ने बताया कि मेले के सुनियोजित ढंग से मनाने बारे स्थानीय स्तर पर सभी प्रबंध किए गए है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow