जहां सबसे पहले सेब आया , वहां बढ़ रही गुठलीदार फलों की खेती , हिमाचल में दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर
हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न और तापमान में लगातार वृद्धि के चलते निचले क्षेत्रों में सेब की जगह स्टोन फ्रूट ने लेनी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले एवं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब सेब की जगह स्टोन फ्रूट (आडू, प्लम, खुबानी, चेरी) की पैदावार तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार सेब की पारंपरिक बेल्ट अब लगभग 2000 मीटर ऊंचाई की ओर शिफ्ट हो चुकी है
हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न और तापमान में लगातार वृद्धि के चलते निचले क्षेत्रों में सेब की जगह स्टोन फ्रूट ने लेनी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले एवं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब सेब की जगह स्टोन फ्रूट (आडू, प्लम, खुबानी, चेरी) की पैदावार तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार सेब की पारंपरिक बेल्ट अब लगभग 2000 मीटर ऊंचाई की ओर शिफ्ट हो चुकी है, जबकि पहले 1200 से 1600 मीटर तक के क्षेत्र सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते थे। मौसम के अनुकूल नहीं होने और चिलिंग ऑवर्स में कमी के कारण पुराने सेब के पौधे अब पहले की तरह उत्पादन नहीं दे रहे।
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