घटती केंद्रीय ग्रांट के विकल्प पर गंभीरता से कार्य कर रही है राज्य सरकार :  सीएम 

हिमाचल सरकार ने ग्रीन बोनस की डिमांड केंद्र के सामने यूं ही नहीं रखी है। इसके पीछे एक दूरगामी सोच है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने नीति आयोग में बैठक के दौरान हिमाचल को जंगल बचाने के बदले ग्रीन बोनस देने की मांग

Nov 10, 2024 - 10:57
 0  27
घटती केंद्रीय ग्रांट के विकल्प पर गंभीरता से कार्य कर रही है राज्य सरकार :  सीएम 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    10-11-2024

हिमाचल सरकार ने ग्रीन बोनस की डिमांड केंद्र के सामने यूं ही नहीं रखी है। इसके पीछे एक दूरगामी सोच है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने नीति आयोग में बैठक के दौरान हिमाचल को जंगल बचाने के बदले ग्रीन बोनस देने की मांग की है। इसके बाद शिमला दौरे पर आए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने भी इस मांग को दोहराया गया। 

हालांकि सोनल में वित्त आयोग ने राज्य सरकार की इस डिमांड पर अभी फैसला लेना है, लेकिन इस डिमांड को उठाने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण यह है कि राज्य के पास वर्तमान में 3.20 लाख करोड़ की वन संपदा है, लेकिन अपनी कमाई के लिए जंगलों का इस्तेमाल हिमाचल नहीं कर सकता। इसलिए जंगलों को बचाने के बदले ग्रीन बोनस की मांग की गई।

दूसरी वजह यह है कि केंद्र सरकार से मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान पहले से ही नेगेटिव ट्रेंड में है। 15वें वित्त आयोग ने इसे टेपरिंग के फार्मूले में डाल दिया था। इस कारण वर्तमान वित्त वर्ष में मिलने वाली 6258 करोड़ की रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट अगले वित्त वर्ष में आधी से कम होकर 3257 करोड़ रह जाएगी। 

ऐसे में अगले वित्त आयोग ने हिमाचल सरकार की इस ग्रांट को अगर और कम कर दिया, तो इसके विकल्प के तौर पर हिमाचल को पैसा चाहिए। यदि अन्य राज्यों के दबाव में वित्त आयोग ग्रांट नहीं दे पाए, तो जंगल बचाने के बदले ग्रीन बोनस दे सकता है। 

ग्रीन बोनस के लिए अन्य राज्यों में उतना कंपीटीशन नहीं है, जितना राजस्व घाटा अनुदान के लिए होगा। राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चिंता ये है कि वित्त वर्ष 2025-26 में केंद्र सरकार से मिलने वाली रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट 50 फीसदी से भी कम हो जाएगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow