सेब उत्पादक संघ का आरोप-अवैज्ञानिक-अमानवीय ढंग से की जा रही बेदखली : राकेश सिंघा
हिमाचल सेब उत्पादक संघ ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट द्वारा किसानों की जमीनों से की जा रही कथित बेदखली के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया है। सेब उत्पादक संघ ने इसे अवैज्ञानिक, अमानवीय और अन्यायपूर्ण करार

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 14-07-2025
हिमाचल सेब उत्पादक संघ ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट द्वारा किसानों की जमीनों से की जा रही कथित बेदखली के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया है। सेब उत्पादक संघ ने इसे अवैज्ञानिक, अमानवीय और अन्यायपूर्ण करार दिया है।
पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार पर आरोप लगाया कि धारा 163-ए के नाम पर किसानों की दशकों पुरानी बागवानी को उजाड़ा जा रहा है, जबकि कई मामले अभी हाईकोर्ट में लंबित हैं।
पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि बीते एक वर्ष में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जमीनों पर बेदखली से जुड़े कई आदेश दिए हैं, जो आपस में ही विरोधाभासी हैं। इन जमीनों पर सरकार ने खुद 2000 में हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम की धारा- 163-A के तहत नियमितीकरण के लिए आवेदन मांगे थे। अब उन्हीं जमीनों को वन भूमि बताकर बेदखली की जा रही है।
संघ ने इसे अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया है, जो नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा करता है। सेब उत्पादक संघ ने कहा है कि वे चार कानूनी आधारों पर इस आदेश को अदालत में चुनौती देने के लिए तैयार हैं और इसके लिए वे मजिस्ट्रेट के समक्ष शपथपूर्वक बयान देने को भी तैयार हैं।
संघ ने न्यायालय की उस धारणा को भी गलत बताया, जिसमें कहा गया है कि सेब का पौधा वन प्रजातियों में आता है। सेब उत्पादक संघ ने स्पष्ट किया है कि सेब का रूटस्टॉक ‘मेलस सिल्वेस्ट्रिस’ प्रजाति से आता है, जिसे ‘क्रैब एप्पल’ कहते हैं और यह जंगलों की प्रजाति है, लेकिन सेब की मौजूदा बागवानी पचास वर्षों से अधिक पुरानी है और इसे वनस्पति अधिनियम में वन प्रजाति के रूप में गिनना गलत है।
पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि मंगलवार को जुब्बल के हाटकोटी में किसानों की एक आपातकालीन महासभा बुलाई गई है। इसमें कथित बेदखली के खिलाफ संघर्ष की रूपरेखा घोषित की जाएगी। संघ ने सरकार से मांग की है कि जब तक सभी कानूनी सवालों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक सभी बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए और हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए।
What's Your Reaction?






