यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 25-11-2025
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आज दिल्ली में केंद्रीय एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से उनके कार्यालय में शिष्टाचार भेंट कर बिहार चुनाव में भाजपा और इंडिया की प्रचंड जीत पर बधाई दी। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री से उन्होंने हिमाचल प्रदेश के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा की और आपदा राहत के कार्यों से अवगत करवाया। तत्पश्चात उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं स्वास्थ्य एवं रसायन मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से भेंट कर बिहार विधानसभा चुनाव की जीत पर बधाई दी। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि अमित शाह से मिलकर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के वर्तमान हालात से अवगत कराया है कि किस प्रकार से आपदा राहत के काम में सरकार पूरी तरह से फेल हुई है। जिस तरीके से आपदा में विकास और पुनर्वास के के काम होने चाहिए थे नहीं हुए। सरकार आपदा प्रभावितों के साथ संवेदनशीलता नहीं दिखा रही है।
जो सड़कें जहां टूटी थी टूटी हैं। बिजली पानी की सुविधा भी स्थाई रूप से हर जगह बहाल नहीं हो पाई हैं। आने वाला समय भारी सर्दी का है। ऐसे समय में अस्थाई सुविधाओं की बहाली से काम नहीं चलने वाला है। जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार पूरी तरीके से दिशाहीन है। राह चलते फैसला लेती है और राह चलते बदल देती है। सरकार में कहीं से भी परिपक्वता नजर नहीं आती है। मुख्यमंत्री जो भी फैसला लेते हैं उसमें न तर्क होता है न ही दूरदर्शिता। हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसी सरकार देखी है जहां न सरकार दिखाई देती है और नहीं कोई व्यवस्था और कानून। ऊना और सोलन में जिस तरीके से सरेआम गोलियां चली उसने पूरे सरकार के इकबाल पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऊना में तो कांग्रेस के बड़े नेता के होटल पर गोली चलती है, तलवारें चलती है। कांग्रेस के नेता द्वारा ही कांग्रेस के युवा नेता की जघन्य हत्या की जाती है। उस घटना के जो दृश्य समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के जरिए बाहर आए हैं, भयावह हैं। इसके बाद भी सरकार अपराधियों पर लगाम लगाने के बजाए पत्रकारों को डराने की कोशिश कर रही है। जांच के तथ्य भी मीडिया तक कैसे पहुंच रहे हैं?
उन्हें कौन पहुंचा रहा है? उन्हें बाहर लाने की मंशा क्या है? कुछ ऐसे भी सवाल हैं जो सरकार के कारनामे पर सवाल खड़े कर रहे हैं। हर दिन प्रदेश में हो रही हत्याओं, आपराधिक वारदातों रोकने में और महिलाओं के को सुरक्षा प्रदान करने में यह सरकार पूर्णतया असफल साबित रही है।पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सरकार अराजकता का जीता जागता उदाहरण है। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के नाम पर सरकार पंचायत चुनाव रोकना चाहती है लेकिन 5 महीने में आपदा प्रभावितों के लिए कुछ काम करने को राजी नहीं है। जब राज्य चुनाव आयोग ने बार-बार पत्र लिखकर पंचायत के पुनर्सीमांकन के लिए कहा तो सरकार ने क्यों नहीं किया? जब पंचायत के रोस्टर जारी करने के लिए निर्देश दिए गए, पंचायत चुनाव की समीक्षा के लिए निर्वाचन आयोग ने बैठकें बुलाई तो अधिकारियों ने उनका बहिष्कार क्यों किया? जब पंचायत के कार्यकाल खत्म होने का समय आया तब सरकार को अचानक पंचायत के पुनर्सीमांकन की याद क्यों आई?
क्योंकि सरकार की नीयत में ही खोट थी। जब राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता की धारा 12.1 लागू करके पंचायत की सीमा को फ्रीज कर दिया तब सरकार ने कैबिनेट के माध्यम से पंचायत के पुनर्सीमांकन का आदेश जारी किया। ऐसा प्रदेश में पहले कभी नहीं हुआ। सरकार सभी संस्थाओं पर इस प्रकार हमला कैसे कर सकती है? व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्थाओं का यह पतन कैसे कर सकती है? उन्होंने कहा कि कल से शुरू हो रहे हैं विधानसभा सत्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार को घेर की और उसकी हर नाकामी हर जन विरोधी कृत्य का हिसाब मांगेगी।