जाखू मंदिर में स्थापित हुई 108 फीट ऊंची हनुमान ध्वजा , समारोह में मुख्यमंत्री ने लिया भाग
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को शिमला के ऐतिहासिक जाखू मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर परिसर में 108 फीट ऊंची हनुमान ध्वजा स्थापना समारोह में भी भाग लिया। इसके उपरांत मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाखू मंदिर के प्रति प्रदेशवासियों की विशेष आस्था है

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को शिमला के ऐतिहासिक जाखू मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर परिसर में 108 फीट ऊंची हनुमान ध्वजा स्थापना समारोह में भी भाग लिया। इसके उपरांत मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाखू मंदिर के प्रति प्रदेशवासियों की विशेष आस्था है। यहां भगवान हनुमान की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है और प्रदेश सरकार इस मंदिर को आध्यात्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से और अधिक आकर्षक बनाने के लिए प्रयासरत है। मंदिर परिसर में भगवान श्री राम की प्रतिमा लगाने का भी कार्य प्रस्तावित है और वन संरक्षण अधिनियम से जुड़ी कुछ प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यहां श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग, बैठने की व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाओं में भी सुधार किया जाएगा तथा इस कार्य में पर्यावरण संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
श्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान और प्रभावितों को राहत देने एवं पुनर्वास के लिए दिन-रात कार्य कर रही है। नेता प्रतिपक्ष भी लगातार उनके संपर्क में हैं क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान हुआ है। इसके अलावा धर्मपुर, करसोग और नाचन क्षेत्रों में भी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में अपने दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों को प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान से अवगत करवाया और सहायता का आग्रह किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब केन्द्रीय गृह मंत्री हिमाचल प्रदेश के दौरे पर आएंगे तो प्रदेश को केंद्र सरकार से कुछ राहत अवश्य मिलेगी। श्री सुक्खू ने कहा कि प्रभावित लोगों का पुनर्वास प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें गैर-वन भूमि पर बसाया जाएगा जबकि वन भूमि के आवंटन के लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी। सबसे पहले आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़के बहाल करना सरकार की प्राथमिकता है ताकि बागवानों को सेब, सब्जियां और अन्य फसलों को बाजार तक पहंुचाने में सुविधा मिल सके।
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