यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून 22-06-2025
कहते हैं की पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं , लेकिन यह कहावत पूत पर नहीं बल्कि उत्तराखंड की इस बेटी पर पूरी तरह चरितार्थ होती है , जिसने महेश 3 वर्ष की आयु में विश्व रिकॉर्ड बनाकर देश को गौरवान्वित किया है। उत्तराखंड की रहने वाली 3 वर्षीय थिया सिंह ने ताइक्वांडो में पीली बेल्ट हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है या यूं कहे कि उत्तराखंड की इस तीन साल की नन्ही बिटिया ने बेटी है अनमोल के मायने पूरी तरह चरितार्थ किए हैं कि बेटियां वास्तव में ही अनमोल होती है। वह इस उपलब्धि को हासिल करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की बालिका बन गई हैं।
इस ऐतिहासिक रिकॉर्ड को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा मान्यता प्रदान की गई है, जो निस्संदेह उनके साहस और लगन को सलाम करता है। आपको बता दें कि थिया ने ढाई साल की उम्र में ही ताइक्वांडो की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। उसकी बड़ी बहन मोयरा जो खुद ब्लू बेल्ट धारक है। उसकी प्रेरणा स्रोत बनी है , लेकिन शिक्षकों जावेद खान और हिना हबीब के मार्गदर्शन में थिया ने कठिन परिश्रम किया और वर्ष 2024 में देहरादून में आयोजित जिला ताइक्वांडो चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। हाल ही में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने थिया की उपलब्धि को मान्यता दी है और थिया सबसे कम उम्र में ताइक्वांडो में पीली बेल्ट हासिल करने वाली विश्व की पहली लड़की बन गई है।
थिया के पिता प्रांजल सिंह और माता अमनदीप कौर ने उन्हें अनुशासन , आत्मरक्षा के लिए ताइक्वांडो सीखने के लिए प्रेरित किया था , जिसके चलते थिया ने खुद को साबित करते हुए पीली बेल्ट हासिल की। थिया कि इस सफलता से न केवल उत्तरांचल बल्कि पूरे भारतवर्ष को गर्व है। दुखद बात यह है कि इतनी कम उम्र में इतने बड़े मुकाम को हासिल करने के बावजूद थिया को वह पहचान और सम्मान नहीं मिला , जिसकी वह पूरी तरह से हकदार थीं।
हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में असली प्रतिभा को पहचानना अब भी कितना जरूरी है। थिया की कहानी उन सभी बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है जो अपने छोटे-छोटे कदमों से बड़े सपने देखना चाहते हैं। वह यह संदेश देती हैं कि उम्र कभी भी हुनर और जज्बे के सामने दीवार नहीं बन सकती। हमें थिया जैसी होनहार प्रतिभाओं को सराहना चाहिए और उनके सफर को उजागर करना चाहिए , ताकि आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेकर अपने सपनों को साकार कर सकें।