यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 30-12-2024
ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह के रिश्वत मामले के तार हिमाचल के बहुचर्चित स्कॉलरशिप घोटाले से जुड़े हुए हैं। शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह पर 25 करोड़ की रिश्वत मांगने के आरोप लगाए है। दरअसल 276 संस्थानों में से 29 शैक्षणिक संस्थानो पर एसी एसटी और ओबीसी स्कॉलरशिप हड़पने की जांच चल रही है। अक्टूबर माह तक सब ठीक था लेकिन जैसे ही हर शैक्षणिक संस्थान से एक-एक करोड़ की मांग की गई थी। विशाल दीप सिंह ईडी के सहायक निदेशक बना नवंबर माह से शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों को ईडी ऑफिस बुलाकर तंग करना शुरू कर दिया और गिरफ्तारी का डर दिखाकर रिश्वत मांगना शुरू कर दिया। जिससे तंग होकर मजबूरन सीबीआई को शिकायत करनी पड़ी और सीबीआई ने जाल बिछाकर संस्थानों द्वारा दी गई रिश्वत को आरोपी के ठिकानों से 55 लाख के रूप में रिकवर किया।
हालांकि आरोपी विशाल दीप अभी भी फरार चल रहा है। ये बात स्कॉलरशिप घोटाले में फंसे शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने शिमला में वाकायदा पत्रकार वार्ता में कही है। मालिकों का कहना है कि उन्हें ईडी दफ्तर बुलाकर दिन भर बिठाया जाता था और सबसे पैसे इकट्ठे कर 25 करोड़ की रिश्वत मांगी जाती थी। जिससे तंग होकर आत्महत्या तक की नौबत आ गई थी। अंत में सीबीआई को शिकायत करनी पड़ी। जब भी विशाल दीप सिंह दफ्तर बुलाता था हमेशा पैसों की डिमांड करता और पैसे न देने पर जेल भेजने की धमकी देता था। मामले में ईडी के दो अन्य अधिकारियों नीरज गर्ग और सुनील कुमार पर भी आरोप लगाए गए हैं। संस्थान मालिक का कहना है कि 19 दिसंबर को उन्हें ईडी कार्यालय बुलाया गया था, जहां पर दो अधिकारियों ने रिश्वत की रकम तय हो गई और बाद में उच्चाधिकारी के पास भेज दिया, जिसने अलग से रिश्वत की मांग की। शैक्षणिक संस्थान के चेयरमैन ने इसकी शिकायत सीबीआई चंडीगढ़ को की थी।
उनके बाद जीरकपुर व पंचकूला में तय की गई रिश्वत की रकम के साथ बुलाया गया था, जहां सीबीआई ने पहले से ही जाल बुन रखा था। इसके अलावा सीबीआई ने शिमला कार्यालय में भी रेड की। आरोपी रिश्वत की रकम लेने के लिए दो अलग-अलग वाहनों में आए थे, जिन्होंने पहले जीरकपुर और बाद में पंचकूला से रिश्वत की रकम ली और फरार हो गए। ईडी अधिकारी का भाई विकास दीप सिंह इसमें शामिल था। इससे रिश्वत के 55 लाख भी बरामद हुए। जबकि मुख्य आरोपी ईडी का सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह फरार चल रहा है। हालांकि, अब विभाग ने उसे सस्पेंड कर दिया है। हिमाचल में वर्ष 2013 से 2017 के दौरान करीब 181 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले का मामला सामने आया था। राज्य सरकार के अनुरोध पर वर्ष 2019 में सीबीआई ने निजी शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी मामले की जांच व निगरानी की। समय-समय पर स्थिति संबंधी रिपोर्ट दायर की गई। यह मामला केंद्र सरकार की ओर से एससी,एसटी,ओबीसी श्रेणियों के विद्यार्थियों की मदद के लिए शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना के कथित दुरुपयोग से संबंधित था।
छात्रवृत्ति योजना को राज्य सरकार के माध्यम से कार्यान्वित किया गया। स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआई ने आईटीएफटी न्यू चंडीगढ़ के गुलशन शर्मा , कालाअंब स्थित हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट के विकास बंसल , अपेक्स संस्थान इंद्री करनाल के रजनीश , आईसीएल संस्थान अंबाला के संजीव प्रभाकर, रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल जोगेंद्र सिंह, हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट कालाअंब के रजिस्ट्रार पन्ना लाल , शिवेंद्र को गिरफ्तार किया था। इनका नाम छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ा था। छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाब के एक संस्थान की करीब 4.50 करोड़ की संपत्ति को भी अटैच किया था। संस्थान का हिमाचल के ऊना में भी अध्ययन केंद्र है। संस्थान पर 800 से अधिक छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पने का आरोप है। घोटाले में संलिप्त 27 संस्थानों में से 19 हिमाचल व 8 प्रदेश से बाहर के थे। ऐसे में ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है।