क्योंथल क्षेत्र में पारंपरिक और सांस्कृतिक उल्लास से परिपूर्ण शनोल पर्व उत्साह पूर्वक आयोजित
प्रदेश के शिमला जिला के क्षेत्र में श्रावण मास के पावन अवसर पर पारंपरिक और सांस्कृतिक उल्लास से परिपूर्ण शनोल पर्व (हरियाली पर्व) उत्साह पूर्वक मनाया गया। यह पर्व क्षेत्र की समृद्ध परंपरा, लोक संस्कृति और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक माना जाता

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 06-08-2025
प्रदेश के शिमला जिला के क्षेत्र में श्रावण मास के पावन अवसर पर पारंपरिक और सांस्कृतिक उल्लास से परिपूर्ण शनोल पर्व (हरियाली पर्व) उत्साह पूर्वक मनाया गया। यह पर्व क्षेत्र की समृद्ध परंपरा, लोक संस्कृति और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक माना जाता है। खास बात यह रही कि इस पर्व पर घर-घर में पारंपरिक व्यंजन मीठे व नमकीन सिड्डू बनाए गए, जिससे पूरी घाटी सिड्डू की खुशबू से महक उठी।
स्थानीय लोगों ने अपने कुल देवी-देवताओं के मंदिरों में जाकर आशीर्वाद प्राप्त किया और एक-दूसरे को पर्व की बधाई दी। बारिश की फुहारों के बीच गर्म सिड्डू को देसी घी और ताजे दही के साथ खाने का अपना ही आनंद रहा। हरियाली और भक्ति का यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का भी अवसर होता है।
शनोल पर्व का ऐतिहासिक महत्व भी है। हिमाचल प्रदेश के निर्माता और प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार का जन्म भी इसी पर्व के दिन हुआ था, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। स्थानीय बुजुर्गों दया राम वर्मा और दौलत राम मेहता ने बताया कि यह पर्व सदियों से मनाया जा रहा है और यह क्योंथल की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।
श्रावण मास की 20 प्रविष्टे (तारीख) को केवल क्योंथल ही नहीं, बल्कि इससे सटे सिरमौर और सोलन जिलों के सीमांत क्षेत्रों में भी शनोल पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर कई स्थानों पर पारंपरिक मेलों का आयोजन होता है, जिसमें ग्रामीण बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
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