जमीन की सेटलमेंट के लिए केरल का सेटेलाइट मॉडल अपनाएगी हिमाचल सरकार,इस मॉडल का अध्ययन कर रही सरकार
प्रदेश सरकार जमीन की सेटलमेंट के लिए केरल का सेटेलाइट मॉडल अपनाएगी। केरल सरकार ने लोगों की जमीन की सीमा तय करने के लिए इस तकनीक को अपनाया है। सरकार इस मॉडल का अध्ययन कर रही है। हिमाचल में अभी जमीन की पैमाइश के लिए जरेब का इस्तेमाल होता
                                यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-09-2025
प्रदेश सरकार जमीन की सेटलमेंट के लिए केरल का सेटेलाइट मॉडल अपनाएगी। केरल सरकार ने लोगों की जमीन की सीमा तय करने के लिए इस तकनीक को अपनाया है। सरकार इस मॉडल का अध्ययन कर रही है। हिमाचल में अभी जमीन की पैमाइश के लिए जरेब का इस्तेमाल होता था।
राजस्व विभाग की ओर से जमीन की सेटलमेंट 40 साल बाद की जाती है। इसका रिकॉर्ड बनाने में ही 5 से 7 साल लगते हैं। ऐसे में सरकार ने रोवर मशीन से ही जमीन की सेटलमेंट करवाने का फैसला लिया है।
यह काॅन्क्लेव अक्तूबर या नवंबर में होगा। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रोवर मशीन जमीन के चारों कोनों पर सर्वेक्षक रिफ्लेक्टर रॉड रखेगा। मशीन को स्टैंड पर रखकर रिफ्लेक्टर रॉड सिग्नल प्राप्त करेगी। रिफ्लेक्टर रॉड को घुमाकर, सिग्नल प्राप्त कर मशीन जमीन का एक डिजिटल नक्शा (मैप) तैयार करती है।
शहर और गांव का नाम और खसरा नंबर जैसी जानकारी रोवर मशीन में दर्ज की जाती है। जमीन के सीमांकन (यानी उसकी सीमा को चिन्हित करने) की पूरी पहचान मशीन में दर्ज हो जाती है।
यह डिजिटल प्रक्रिया है। इससे मापे गए भूखंड की पहचान और उसके सीमांकन की जानकारी बहुत सटीक और विश्वसनीय होती है। अभी जमीन की पैमाइश के लिए जरेब का इस्तेमाल होता है। रोवर मशीन के आने से प्रक्रिया डिजिटल और आसान हो गई है।
What's Your Reaction?
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                
                    
                

