भाषा और जाति के विवाद से ऊपर उठकर हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए एकजुट होना जरूरी : मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने मतभेद भुलाकर एकता पर जोर दिया। मोहन भागवत ने कहा कि समाज में अनुशासन, कर्तव्य और लक्ष्य का महत्व है। उन्होंने संघ की तुलना किसी और संगठन से करने से भी इनकार कर दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और यहां सभी संप्रदायों को सम्मान मिलता है

Oct 7, 2024 - 00:18
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भाषा और जाति के विवाद से ऊपर उठकर हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए एकजुट होना जरूरी : मोहन भागवत
न्यूज़ एजेंसी - जयपुर   06-10-2024
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने मतभेद भुलाकर एकता पर जोर दिया। मोहन भागवत ने कहा कि समाज में अनुशासन, कर्तव्य और लक्ष्य का महत्व है। उन्होंने संघ की तुलना किसी और संगठन से करने से भी इनकार कर दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और यहां सभी संप्रदायों को सम्मान मिलता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पांच दिवसीय दौरे पर राजस्थान के बारां पहुंचे। यहां कृषि उपज मंडी में उन्होंने हिंदू समाज को एकता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भाषा, जाति और प्रांत के भेदभाव को मिटाना होगा। मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को सुरक्षा के लिए एकजुट होना जरूरी है। उन्होंने समाज में अनुशासन का महत्व बताया। 
उन्होंने कहा कि राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज सिर्फ मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता, बल्कि हमें समाज के प्रति सर्वांगीण चिंता के जरिए अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है। हिंदू समाज को भाषा , जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद मिटाकर अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें एकता, सद्भावना और बंधन का भाव हो। मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस का काम विचारों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि दुनिया में संघ जैसा कोई और संगठन नहीं है। 
उन्होंने कहा कि संघ के कार्य की तुलना में दुनिया में कोई संगठन नहीं है। संघ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। संघ से संस्कार समूह नेता में , समूह नेता से स्वयंसेवक में और स्वयंसेवक से परिवार में जाते हैं। परिवार से समाज का निर्माण होता है। संघ में व्यक्ति के विकास की यही पद्धति अपनाई जाती है। आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। हम लोग प्राचीन काल से यहां रह रहे हैं, हालांकि हिंदू नाम बाद में आया। 
यहां रहने वाले भारत के सभी संप्रदायों के लिए हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को स्वीकार करते हैं। हिंदू कहता है कि हम सही हैं और आप भी अपनी जगह सही हैं। एक दूसरे से लगातार संवाद करते हुए सद्भावना से रहें। मोहन भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों को हर जगह लोगों से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में फैली बुराइयों को दूर करना चाहिए। उन्होंने ने सामाजिक समरसता, न्याय, स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर दिया।

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