सरकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण की ओर ईशारा कर रहा ड्रग कंट्रोलर का मामला : सतपाल सत्ती

ऊना से विधायक एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सतपाल सिंह सत्ती ने सरकार की अफसरशाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। उन्होंने कहा कि निशांत सरीन जो कि धर्मशाला में बतौर सहायक दवा नियंत्रक ( एडीसी ) कार्यरत है, के खिलाफ ईडी को आय से अधिक संबंधित मामले में चल रही जांच के अंतर्गत अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं जो प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण की ओर ईशारा कर रहे हैं

Jun 28, 2025 - 19:05
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सरकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण की ओर ईशारा कर रहा ड्रग कंट्रोलर का मामला : सतपाल सत्ती
  
यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला  28-06-2025

ऊना से विधायक एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सतपाल सिंह सत्ती ने सरकार की अफसरशाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। उन्होंने कहा कि निशांत सरीन जो कि धर्मशाला में बतौर सहायक दवा नियंत्रक ( एडीसी ) कार्यरत है, के खिलाफ ईडी को आय से अधिक संबंधित मामले में चल रही जांच के अंतर्गत अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं जो प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण की ओर ईशारा कर रहे हैं और यह एक गंभीर मामला है। भाजपा नेता ने कहा कि निशांत सरीन उनके पारिवारिक सदस्यों व सहयोगियों के हिमाचल, पंजाब और हरियाणा स्थित 7 आवासीय , व्यापारिक परिसरों और सरकारी कार्यालयों में तलाशी के दौरान ये सबूत हाथ लगे हैं। 
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को कंपनी के बैंक खातों और सरीन के पारिवारिक सदस्यों के वित्तीय लेन देन से यह बात सामने आई है कि पंचकूला स्थित एक दवा कंपनी में सरीन की पत्नी की 95 प्रतिशत हिस्सेदारी भी है। इसके अतिरिक्त 40 से अधिक बैंक खाते , 3 महंगी कारें , एफडीआर और 3 लाॅकर जब्त किए गए हैं , साथ ही उनके चंडीगढ़ स्थित आवास से 60 से अधिक शराब की बोतलें भी मिली है। सतपाल सत्ती ने कहा कि कांगड़ा , चम्बा व ऊना क्षेत्र के दवा विक्रेता और दवाई मैन्युफैक्चरिंग की यूनिट्स इस अधिकारी के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते थे और ये सभी से पैसो की मांग करता था जिसकी वजह से ये सभी बहुत परेशान थे। इन क्षेत्रों के दवा विक्रेताओं ने उन्हें फोन पर बताया कि कथित सहायक दवा नियंत्रक उनसे दवाई की दुकान का लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए 50-50 हजार रुपए की मांग करता है और जब दवाई के दुकानदारों ने इस कथित अधिकारी की 50-50 हजार रुपए देने की मांग का विरोध किया तो उसने उन दवा विक्रेताओं को बताया कि उसने धर्मशाला में इस पद पर तैनाती के लिए 30 लाख रुपए दिए हैं और उसे हर महीने 5 लाख रुपए ऊना और 5 लाख रुपए शिमला देने पड़ते हैं। 
ऐसे में मैंने जनप्रतिनिधि होने के नाते इस मामले को विधानसभा में गंभीरता से उठाया थी और सरकार से इस मामले की जांच की मांग की थी , परन्तु सरकार ने इस संबंध में कोई कार्यवाही न करके एक संवेदनहीन सरकार होने का परिचय दिया। सतपाल सत्ती ने सरकार से जानना चाहा कि आखिर कांग्रेस का वो कौन नेता है, जिसने ये 30 लाख रू0 लिए हैं ? आखिर कांग्रेस का वो कौन नेता है जिसे 5 लाख रुपए ऊना और 5 लाख रुपए शिमला दिए जाते थे ? इस बात की गहन जांच आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने के बावजूद सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ये जांच आगे बढ़ेगी और भी कई नए खुलासे होने की पूर्ण संभावना है। उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने 18 नवम्बर 2013 को एक केस का फैसला देते समय सरकार को निर्देश दिए थे कि किसी भी संवेदनशील पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात न किया जाए जिसकी सत्यनिष्ठा पर संदेह हो और यदि अपरिहार्य परिस्थितियों में ऐसे किसी अधिकारी की नियुक्ति की जाती है तो उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री की मंजूरी लेनी आवश्यक होगी और यदि ऐसे पद पर पहले से ही कोई अधिकारी नियुक्त है तो उसे तुरंत उस पद से हटा देना चाहिए। सतपाल सत्ती ने सरकार से पूछा कि आखिरकार ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को इतने महत्वपूर्ण पद पर बिठा दिया। 
जबकि यह व्यक्ति पहले भी भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त पाया गया है और उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से हिमाचल में बनने वाली दवाओं के सैंपल बार-बार फेल होते हैं और हिमाचल का नाम बदनाम होता है। उन्होंने कहा कि विमल नेगी मामले में भी सरकार की अफसरशाही की किरकिरी हुई और आनन-फानन में सरकार को जांच से जुड़े अधिकारियों को लम्बी छुट्टी पर भेजना पड़ा। अब सीबीआई इस मामले में जांच को आगे बढ़ा रही है। सतपाल सत्ती ने सुक्खू सरकार को घेरते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के साथ-साथ सरकार का नशा तस्करों को भी संरक्षण प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार, विशेषकर चिट्टा युवा जिंदगियों को बर्बाद कर रहा है और सरकार तमाशबीन बनी बैठी है। शासन और प्रशासन दोनों ही अपने कार्यों को ईमानदारी से करने में नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाना जाता है परन्तु वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को शह देकर हिमाचल का नाम बदनाम कर हिमाचल वासियों को शर्मसार किया है।

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