सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण करवाने में हासिल हो रही सफलता  

हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। जनवरी 2025 से लेकर 30 अप्रैल 2025 तक 05 चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया

May 4, 2025 - 15:46
May 4, 2025 - 15:54
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सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण करवाने में हासिल हो रही सफलता  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    04-05-2025

हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। जनवरी 2025 से लेकर 30 अप्रैल 2025 तक 05 चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता-पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल राज्य से चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को गोद लिया गया है। 

इसके अलावा 3 अन्य चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को गोद लेने की प्रक्रिया तीव्र गति से चली है, जिन्हें दो महीने की प्री एडॉप्शन केयर के लिए भेजा जा रहा है। प्रदेश सरकार के सार्थक प्रयासों से बच्चों के नवजीवन को आकार मिल रहा है।उपायुक्त अनुपम कश्यप ने समाज के समृद्ध लोगों से अपील की है कि वह शिशु गृह और आश्रमों में पल रहे बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएं ताकि इन बच्चों का सुखद और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समाज के कमजोर व गरीब वर्गों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में 4000 असहाय बच्चों की अब प्रदेश सरकार ही माता, सरकार ही पिता है। इन बच्चों को सरकार द्वारा चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है। वर्तमान सरकार ने इन बच्चों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना आरंभ की है। इस समय जिला में 13 बाल-बालिका संस्थान चलाए जा रहे हैं। 

उपायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि इन वर्गों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना है तथा मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष प्रदेश सरकार के इन प्रयासों की दिशा में एक और सार्थक पहल है। इन बच्चों के रहन-सहन, शिक्षा से लेकर उनके भविष्य को सुरक्षित करने में यह कोष सहायक बन रहा है।

इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा व दिव्यांग अभिभावकों के 0-27 वर्ष के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण के लिए इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना भी आरंभ की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने जानकारी देते हुए कहा कि बच्चा गोद लेने के लिए जिन माता पिता ने आवेदन किया होता है, उन्हें मेरिट के आधार पर दत्तक ग्रहण करवाया जाता है।  

अधिनियम के मुताबिक जो इस प्रक्रिया के लिए नियम व शर्तें पूरी करते है, उन्हें ही लाभ दिया जाता है।संरक्षण अधिकारी गैर संस्थागत देखभाल प्रतिभा राठौर ने कहा कि भारत में भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिक कोई भी बच्चे को गोद ले सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे पहले उन्हें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों को पूरा करना जरूरी है।

शादीशुदा परिवार के अलावा इसके साथ ही सिंगल पैरेंट या कपल दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं। हालांकि मैरिड कपल के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं।  -अगर कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चे को गोद ले रहा है तो उस कपल की शादी को कम से कम 2 साल का समय होना चाहिए।
-गोद लेने वाले बच्चे के माता-पिता को पहले से कोई जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए। -बच्चे और माता-पिता की उम्र में कम से कम 25 साल का फर्क होना चाहिए।-बच्चे को गोद लेने के लिए माता-पिता दोनों की रजामंदी होनी चाहिए।

अगर कोई महिला किसी बच्चे को गोद लेना चाहती है तो वह लड़का या लड़की में से किसी को भी आसानी से गोद ले सकती है।- अगर कोई पुरुष बच्चे को गोद लेना चाहता है तो उसे केवल लड़का ही गोद दिया जाता है।- वहीँ एक कपल लड़का या लड़की में से किसी को भी गोद ले सकता है।
- माता-पिता की बच्चा गोद लेते समय आर्थिक स्थिति सही होनी चाहिए।

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