बिना सुनवाई के किसी को नहीं ठहराया जा सकता दोषी,प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भले ही हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1968 में निष्पादन कार्यवाही के दौरान आपत्तियां दर्ज करने का कोई स्पष्ट प्रावधान न हो, फिर भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन अनिवार्य

Aug 19, 2025 - 11:23
 0  8
बिना सुनवाई के किसी को नहीं ठहराया जा सकता दोषी,प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    19-08-2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भले ही हिमाचल प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1968 में निष्पादन कार्यवाही के दौरान आपत्तियां दर्ज करने का कोई स्पष्ट प्रावधान न हो, फिर भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन अनिवार्य है। अदालत ने मंडी के कलेक्टर सह उप रजिस्ट्रार की ओर से पारित आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया। 

अदालत ने कहा कि प्राकृतिक न्याय की व्यवस्था अंतर्निहित है और किसी को भी बिना सुनवाई के दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने नलिनी विद्या बनाम मंडी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड मामले में यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मंडी शहरी सहकारी बैंक की ओर से उनके खिलाफ निष्पादन कार्यवाही शुरू की गई थी, लेकिन उनकी आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि अधिनियम में ऐसी आपत्तियों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। 

न्यायालय ने टिप्पणी की कि भले ही अधिनियम की धारा 87 और 89 पंचाटों के निष्पादन को कानून और नियमों के अनुसार किए जाने की बात कहती हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि ऋणी को सुनवाई का अधिकार नहीं मिलेगा। 

अदालत ने कहा कि निष्पादन कार्यवाही में निर्णय लेने से पहले ऋणी को अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ इसलिए कि कानून में आपत्तियों के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि न्याय के बुनियादी सिद्धांतों की अनदेखी की जा सकती है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow