यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून 04-05-2025
आज सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट छह माह ग्रीष्मकाल के लिए देश दुनिया के श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खुल गए। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी श्री बदरीनाथ धाम में दर्शन के लिए पहुंचे। गौर हो कि शीतकाल में छह माह कपाट बंदी के दौरान पांडुकेश्वर योगध्यान बद्री मंदिर में स्थित भगवान बदरी विशाल के बदरीश पंचायत के मुख्य देवता उद्धव जी व कुबेर जी, गरुड़ उत्सव डोली , शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ देवभारा यात्रा बद्रीनाथ धाम पहुंची।
गत शनिवार सुबह योग ध्यान बद्री मंदिर में रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा पूजा अर्चना के बाद विधि विधान के साथ देवभारा यात्रा सुबह 10 बजे पांडुकेश्वर शीतकालीन स्थल से बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना हुई। देवभारा यात्रा बद्रीनाथ धाम पहुंचने से पूर्व रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा हनुमान चट्टी में हनुमान जी की पूजा अर्चना की। देव दर्शनी से देवभारा यात्रा बद्रीनाथ मंदिर के लिए बामणी गांव पहुंची। रावल अमरनाथ नंबूदरी ने भगवान नारायण की जन्मस्थली लीलाढुंंगी में पौराणिक विधि विधानों के अनुसार पूजा अर्चना के उपरांत देवभारा यात्रा पुराने बाजार से होते हुए बद्रीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर पहुंची। मंदिर परिसर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने बद्री विशाल के जयकारे के साथ देवभारा यात्रा का स्वागत किया। जिससे पूरी बद्रीश पुरी नारायण के जयकारों से गुंजायमान किया।
इस दौरान गढ़वाल स्काउट के जवानों द्वारा बैंडों ने जय बद्री , जय केदार की मधुर मय धुनों के साथ बदरीशुपरी को भक्ति के रंग में रंग दिया। सिंहद्वार पर माथा टेकने के बाद उद्धव जी को रावल बदरीनाथ के निवास स्थित पूजा स्थल में रखा गया। जबकि देवताओं के खजांची कुबेर जी को रात्रि विश्राम के लिए बामणी गांव मां नंदा देवी के मंदिर में विभाजित किया गया। रविवार सुबह ठीक छह बजे भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोल दिए जाने के साथ ही अखंड ज्योति के दर्शन श्रद्धालुओं को दर्शन मिलने लगे। बड़ी संख्या में दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। गर्भगृह में जैसे ही रावल जी प्रवेश कराया जाता है, उसके बाद गर्भगृह में नारायण के साथ शीतकाल में निवास कर रही मां महालक्ष्मी को रावल द्वारा परिक्रमा स्थित महालक्ष्मी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ यथा स्थान विराजमान किया जाता है।
इसके साथ उद्धव जी व कुबेर गली से कुबेर जी को हक हकूक धारियों द्वारा मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जाता है। यहां रावल द्वारा उद्धव जी एवं कुबेर जी को बदरीश पंचायत में उनके स्थानों पर विराजित करने के बाद इस साल की सबसे प्रथम पूजा अभिषेक एवं महाभिषेक पूजाएं प्रारंभ की जाती है। कपाट खुलने पर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को भगवान बद्री विशाल को शीतकाल में ओढ़ाई गई घृत कंबल को निकालकर श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। जिसके बाद भगवान का श्रृंगार स्वर्ण आभूषणों के साथ किया जाता है।